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Rahul Gandhi: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की चुप्पी और इस्तीफे के पीछे रहस्य क्या है: राहुल

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Rahul Gandhi

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नई दिल्ली, 21 अगस्त 2025। Rahul Gandhi:  लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 20 अगस्त 2025 को पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की अचानक चुप्पी और उनके इस्तीफे को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखा हमला बोला। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के सम्मान समारोह में राहुल ने सवाल उठाया कि जो व्यक्ति राज्यसभा में अपनी तेजतर्रार आवाज के लिए जाना जाता था, वह आज पूरी तरह खामोश क्यों है। उन्होंने कहा, “भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति आखिर कहां छिपे हैं? क्यों ऐसी नौबत आ गई कि वे एक शब्द भी नहीं बोल सकते? सोचिए, हम कैसे समय में जी रहे हैं।”

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राहुल ने धनखड़ के 21 जुलाई 2025 को अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा कि इसके पीछे “एक बड़ी कहानी” है। उन्होंने बताया कि इस्तीफे के दिन कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने उन्हें फोन कर इसकी जानकारी दी थी। राहुल ने कहा, “कुछ लोग इस कहानी को जानते हैं, कुछ नहीं। लेकिन सवाल यह है कि भारत का उपराष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर रहा व्यक्ति ऐसी स्थिति में क्यों है कि वह एक शब्द भी नहीं बोल सकता?” उन्होंने इसे मौजूदा सरकार की नीतियों और लोकतंत्र पर खतरे से जोड़ा, यह दावा करते हुए कि देश मध्ययुगीन दौर की ओर बढ़ रहा है, जहां “राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा सकता है।”

राहुल ने केंद्र सरकार द्वारा पेश तीन नए विधेयकों—संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025—को भी निशाने पर लिया। उन्होंने इन विधेयकों को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और कहा कि ये देश को एक ऐसे युग में ले जा रहे हैं, जहां संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता खतरे में है। राहुल ने बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और असम में मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं का मुद्दा भी उठाया, इसे “वोट चोरी” करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका का हवाला दिया।

जगदीप धनखड़, जो 2022 से 2025 तक भारत के 14वें उपराष्ट्रपति रहे, ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले, वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और चंद्रशेखर मंत्रालय में संसदीय कार्य राज्य मंत्री रह चुके हैं। एक वकील और राजनेता के रूप में उनका 30 साल का करियर रहा, जिसमें उन्होंने जनता दल, कांग्रेस और BJP जैसे दलों के साथ काम किया। हालांकि, उनके इस्तीफे के बाद से वह सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए, न ही उन्होंने कोई बयान दिया, जिससे राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया।

राहुल गांधी ने धनखड़ की चुप्पी को BJP की नीतियों से जोड़ा और कहा कि यह संवैधानिक संस्थाओं पर बढ़ते दबाव का प्रतीक है। उन्होंने बी. सुदर्शन रेड्डी की तारीफ करते हुए उन्हें संविधान का सच्चा रक्षक बताया, जो हमेशा अपनी जेब में संविधान की प्रति रखते हैं। राहुल ने यह भी कहा कि अगर उपराष्ट्रपति जैसे पद पर बैठा व्यक्ति बोलने से डरता है, तो आम जनता की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा। कई यूजर्स ने धनखड़ की चुप्पी और उनके इस्तीफे के पीछे संभावित साजिश की बात उठाई। एक यूजर ने लिखा, “धनखड़ को मीडिया से बात करने से क्यों रोका जा रहा है? क्या उन्हें जान का खतरा है?” वहीं, कुछ ने उनके पुराने बयानों का जिक्र करते हुए उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।इस विवाद ने संवैधानिक पदों की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की स्थिति पर बहस को तेज कर दिया है।

विपक्ष का कहना है कि धनखड़ की चुप्पी और इस्तीफा सरकार के दबाव का नतीजा हो सकता है, जबकि BJP ने इसे स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत निर्णय बताया। इस मामले ने आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव को और गर्म कर दिया है, जिसमें सत्तारूढ़ NDA को बढ़त मिलने की संभावना है।

 

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