नोएडा, 19 अगस्त 2025। CAG Report: नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की हालिया रिपोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यों में कई गंभीर अनियमितताओं का खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्राधिकरण ने नियमों को ताक पर रखकर ग्रीन एरिया और मनोरंजन जोन के लिए आरक्षित जमीन को बिल्डरों को आवंटित कर दिया।
इतना ही नहीं, कई योजनाओं को सरकार या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (NCRPB) की मंजूरी के बिना ही शुरू कर दिया गया, जिससे प्राधिकरण को भारी वित्तीय नुकसान हुआ और निवेशकों के साथ धोखा हुआ। CAG की 2023 की रिपोर्ट में बताया गया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 2005-06 से 2014-15 के बीच कई डिफॉल्टर बिल्डरों को ग्रुप हाउसिंग भूखंड आवंटित किए।
इस दौरान 94 भूखंड, जो कुल 2017 एकड़ में फैले थे, बांटकर 186 भूखंड बनाए गए। अप्रैल 2021 तक इनमें से केवल 27 परियोजनाएं पूरी हो सकीं, जबकि 95 परियोजनाएं आंशिक रूप से भी पूरी नहीं हुईं। इससे हजारों फ्लैट खरीदारों को दस साल तक इंतजार करना पड़ा और प्राधिकरण पर 10,732 करोड़ रुपये का बकाया चढ़ गया।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि प्राधिकरण ने 2009 और 2011 में बिना सरकारी मंजूरी के भू-उपयोग में बड़े बदलाव किए। मूल रूप से औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित होने वाला ग्रेटर नोएडा रिहायशी टाउनशिप में बदल गया। मनोरंजन और स्पोर्ट्स सिटी के लिए आरक्षित जमीन को पहले आवासीय और फिर बिल्डरों को सौंप दिया गया।
उदाहरण के लिए, 2011 से 2014 के बीच स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर बड़े भूखंड आवंटित किए गए, जहां गोल्फ कोर्स और क्रिकेट अकादमी जैसी सुविधाएं विकसित होनी थीं। लेकिन मार्च 2022 तक एक भी स्पोर्ट्स सिटी पूरी नहीं हुई। इसके बजाय, इन जमीनों पर रिहायशी परियोजनाएं बनाई गईं, जिससे प्राधिकरण को 2,800 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
CAG ने बताया कि प्राधिकरण ने बिल्डरों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए पात्रता शर्तों में ढील दी। उदाहरण के लिए, 2003 में लॉन्च बिल्डर योजना में नियम था कि नोएडा या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बकायेदार बिल्डर टेंडर में हिस्सा नहीं ले सकते। फिर भी, पांच डिफॉल्टर बिल्डरों को सात भूखंड आवंटित किए गए, जिन पर पहले से 63 करोड़ रुपये बकाया था। यह बकाया 2021 तक बढ़कर 1,339.02 करोड़ रुपये हो गया।
रिपोर्ट में ग्रीन एरिया के दुरुपयोग का भी जिक्र है। 2005 और 2006 में ग्रीन एरिया में दो डेवलपरों को 25% छूट के साथ केवल एक रुपये प्रति एकड़ की दर से भूखंड आवंटित किए गए, जो बोर्ड के फैसले के खिलाफ था। इससे प्राधिकरण को 41.48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा, स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं में ज्यादा फ्लोर एरिया रेश्यो (FAR) और ग्राउंड कवरेज की अनुमति दी गई, जिससे बिल्डरों को 470 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ मिला।
CAG ने यह भी उजागर किया कि प्राधिकरण ने 1991 से 2021 तक 2,580 औद्योगिक भूखंड आवंटित किए, लेकिन केवल 52% पर ही उद्योग स्थापित हुए। शेष 48% भूखंडों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, और 972 आवंटियों को नोटिस तक नहीं दिए गए। इसके परिणामस्वरूप राजस्व हानि हुई और औद्योगिक विकास प्रभावित हुआ। साथ ही, किसानों को दिए गए 307.37 करोड़ रुपये के अनुग्रह भुगतान की वसूली भी नहीं की गई।
इन अनियमितताओं ने न केवल प्राधिकरण को वित्तीय नुकसान पहुंचाया, बल्कि निवेशकों और आम नागरिकों का भरोसा भी तोड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने भी आम्रपाली ग्रुप के मामले में प्राधिकरण की लापरवाही पर टिप्पणी की थी, जिसमें बकाया भुगतान के बिना जमीन आवंटन की बात सामने आई थी। कुल मिलाकर, CAG की रिपोर्ट ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार को उजागर किया है, जिसके चलते 32,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
यह स्थिति न केवल प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि भविष्य में पारदर्शी और नियमों के अनुरूप नीतियों की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। सरकार और प्राधिकरण को इन खामियों को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे ताकि निवेशकों का भरोसा बहाल हो और ग्रेटर नोएडा का विकास सही दिशा में हो सके।
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