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नेतन्याहू के ‘ग्रेटर इजरायल’ बयान पर भड़के अरब देश, सऊदी अरब ने की कड़ी निंदा

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ग्रेटर इजरायल

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नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025।  इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के एक हालिया बयान ने अरब और मुस्लिम देशों में तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। मंगलवार को i24 न्यूज चैनल के साथ एक साक्षात्कार में नेतन्याहू ने ‘ग्रेटर इजरायल’ की अवधारणा के प्रति अपनी गहरी संबद्धता जताई। इस बयान में उन्होंने इजरायल की विस्तारवादी नीति का समर्थन करते हुए कहा कि वह इस दृष्टिकोण से बहुत जुड़े हुए हैं।

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‘ग्रेटर इजरायल’ की अवधारणा में पूर्वी यरुशलम, पश्चिमी तट, गाजा, सिनाई प्रायद्वीप, गोलान हाइट्स और पड़ोसी अरब देशों जैसे जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, मिस्र, इराक और सऊदी अरब के कुछ हिस्सों को शामिल करने की बात कही जाती है। इस अवधारणा को नील नदी से फरात नदी तक के क्षेत्र को इजरायल में मिलाने की योजना के रूप में देखा जाता है, जिसका अरब देश लंबे समय से विरोध करते रहे हैं।नेतन्याहू के इस बयान पर सऊदी अरब ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया।

सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इजरायल की ऐसी विस्तारवादी नीतियां अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करती हैं और वैश्विक शांति को कमजोर करती हैं। मंत्रालय ने फिलिस्तीनी लोगों के 1967 की सीमाओं पर पूर्वी यरुशलम को राजधानी बनाकर स्वतंत्र राज्य के अधिकार का समर्थन किया। अन्य अरब देशों ने भी इस बयान की कड़ी निंदा की। फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने इसे फिलिस्तीनी अधिकारों का अपमान और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया।

कतर ने इसे ‘अहंकारी रवैया’ बताते हुए कहा कि यह बयान क्षेत्र में संकट और संघर्ष को बढ़ावा देता है। मिस्र ने इसे शांति के खिलाफ बताते हुए इजरायल से स्पष्टीकरण मांगा, जबकि जॉर्डन ने इसे खतरनाक और भड़काऊ करार दिया। यमन ने भी इस बयान की निंदा करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजरायल को जवाबदेह ठहराने की मांग की। अरब लीग और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) ने भी नेतन्याहू के बयान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया और इसे अरब देशों की संप्रभुता पर हमला करार दिया।

अरब लीग ने इसे औपनिवेशिक मानसिकता का प्रतीक बताया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इस पर कड़ा रुख अपनाने की अपील की। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब नेतन्याहू गाजा पर पूर्ण नियंत्रण की योजना बना रहे हैं, जिसने अरब देशों के गुस्से को और भड़का दिया है। इस विवाद ने क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे मध्य पूर्व में शांति की संभावनाएं और जटिल हो गई हैं।

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