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Kissinger Plan:  पाकिस्तानी सेना का ‘किसिंजर प्लान’, ईरान-अमेरिका दोस्ती से भारत की बढ़ी टेंशन

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Kissinger Plan

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 वाशिंगटन/इस्लामाबाद, 2 अगस्त 2025 Kissinger Plan:  पाकिस्तान की सेना खासकर फील्ड मार्शल असीम मुनीर के नेतृत्व में एक नए भू-राजनीतिक खेल में उलझी हुई है, जिसे कुछ विश्लेषक ‘किसिंजर प्लान’ कह रहे हैं। इस प्लान के तहत पाकिस्तानी सेना अमेरिका और ईरान के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश कर रही है, जिससे दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन बदल सकता है। इस कदम से भारत में चिंता बढ़ रही है क्योंकि यह न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है, बल्कि भारत के रणनीतिक हितों को भी चुनौती दे सकता है।

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हाल ही में फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ व्हाइट हाउस में एक निजी मुलाकात की, जिसमें ईरान-इजरायल तनाव पर चर्चा हुई। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के अनुसार, इस बैठक में मुनीर ने ट्रम्प के साथ क्षेत्रीय शांति और आर्थिक सहयोग पर विचार-विमर्श किया। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान, जो ईरान के साथ 900 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, अपनी भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर अमेरिका और ईरान के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तान का ईरान के साथ ऐतिहासिक और धार्मिक रिश्ता रहा है, खासकर वहां की शिया आबादी के कारण। हाल ही में, मुनीर ने ईरान के सैन्य प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी से मुलाकात की थी, जो बाद में इजरायली हवाई हमले में मारे गए। इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान ने इजरायल के हमलों की निंदा की और ईरान के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। दूसरी ओर, अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार की कोशिशें भी तेज हो रही हैं। मुनीर की अमेरिका यात्रा को वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच रिश्तों में ‘पिघलन’ के रूप में देखा जा रहा है, जिसे भारत सतर्कता से देख रहा है।

भारतीय रणनीतिक हलकों में इसे ‘किसिंजर प्लान’ कहा जा रहा है, जो पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर की कूटनीति से प्रेरित है। किसिंजर ने 1970 के दशक में चीन और अमेरिका के बीच मध्यस्थता की थी। विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान अब इसी तरह की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत कर सके। इससे भारत की चिंताएं बढ़ रही हैं, क्योंकि पाकिस्तान की यह रणनीति भारत को क्षेत्रीय और वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की कोशिश हो सकती है। भारत के लिए यह स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि अमेरिका और भारत के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी के बावजूद, वाशिंगटन का पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ाना भारत के हितों के खिलाफ जा सकता है।

खासकर, जब पाकिस्तान कश्मीर जैसे मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश करता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं करेगा, लेकिन अमेरिका-पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियां चिंता का विषय हैं। इस बीच, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी इस कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। मुनीर ने अमेरिका से आर्थिक सहयोग, खनिज, और क्रिप्टोकरेंसी जैसे क्षेत्रों में निवेश की बात की है। यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अपनी आर्थिक कमजोरियों को भुनाने के लिए भी यह रणनीति अपना रहा है।

पाकिस्तान की इस नई कूटनीति से भारत को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत को फ्रांस, जापान और इजरायल जैसे देशों के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत करना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में उसकी स्थिति बनी रहे।

 

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