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उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध का कहर: नोएडा और मथुरा बने हॉटस्पॉट, रोजाना हजारों शिकायतें
लखनऊ, 31 जुलाई 2025। Cyber Crime: उत्तर प्रदेश साइबर अपराध के मामले में देश में सबसे ऊपर पहुंच गया है, जहां एक ही दिन में 6000 से अधिक सिकायतें दर्ज की गईं। साइबर क्राइम के बढ़ते ग्राफ ने प्रशासन और पुलिस के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। विशेष रूप से नोएडा और मथुरा जैसे शहर साइबर अपराधियों के लिए नए केंद्र बनकर उभरे हैं, जहां डिजिटल धोखाधड़ी, फिशिंग, और ऑनलाइन स्कैम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (NCRP) के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम की शिकायतें पिछले कुछ वर्षों में कई गुना बढ़ी हैं। अप्रैल 2023 में ही देशभर में साइबर क्राइम की 7 लाख शिकायतें दर्ज की गई थीं, जिनमें से करीब 1 लाख अकेले यूपी से थीं।
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यह आंकड़ा प्रतिदिन 23,000 शिकायतों और प्रति घंटे लगभग 1,000 अपराधों की ओर इशारा करता है। इनमें से अधिकांश मामले ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े हैं, जिसमें यूपीआई फ्रॉड (47.3%), डेबिट/क्रेडिट कार्ड फ्रॉड (11.3%), और इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड (9.3%) शामिल हैं। नोएडा, जो पहले एक तकनीकी केंद्र के रूप में जाना जाता था, अब साइबर अपराधियों का पसंदीदा ठिकाना बन गया है। हाल ही में नोएडा पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर “इंस्टा सॉल्यूशन” को ध्वस्त किया, जहां 76 लोगों को गिरफ्तार किया गया। यह गिरोह अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के प्रतिनिधि बनकर विदेशी नागरिकों को ठग रहा था। इस ऑपरेशन में 58 लैपटॉप, 24 मोबाइल फोन, और अन्य उपकरण जब्त किए गए।
दूसरी ओर, मथुरा भी साइबर क्राइम का हॉटस्पॉट बनकर उभरा है। एक अध्ययन के अनुसार, मथुरा देश के उन शीर्ष 10 जिलों में शामिल है, जो 80% साइबर अपराधों के लिए जिम्मेदार हैं। आईआईटी कानपुर की एक स्टार्टअप, फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (FCRF) की रिपोर्ट में बताया गया है कि मथुरा में 12% साइबर अपराध दर्ज किए गए, जो इसे राजस्थान के भरतपुर (18%) के बाद दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बनाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कम तकनीकी बाधाएं, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपर्याप्त KYC प्रक्रियाएं, और फर्जी सिम कार्ड्स की आसान उपलब्धता ने साइबर अपराध को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, बेरोजगार और कम शिक्षित युवाओं को साइबर क्राइम सिंडिकेट्स द्वारा भर्ती किया जा रहा है, जो इस समस्या को और जटिल बना रहा है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने साइबर क्राइम से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। यूपी पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट में अत्याधुनिक साइबर फोरेंसिक लैब स्थापित की गई है, जो डिलीट हुए डेटा को रिकवर करने और मोबाइल फोन से डेटा निकालने में सक्षम है। साथ ही, लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं। यूपी पुलिस की साइबर क्राइम सुपरिंटेंडेंट त्रिवेणी सिंह ने कहा, “नई तकनीकों जैसे कि AI का इस्तेमाल साइबर अपराधी बिना किसी डर के कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल है।”
पुलिस और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मौजूदा कानून साइबर अपराधियों के लिए पर्याप्त डर पैदा नहीं कर पा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि तेजी से बदलती तकनीक के साथ कानून और पुलिस प्रशिक्षण को भी अपडेट करने की जरूरत है। इसके साथ ही, आम जनता को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करना भी जरूरी है, ताकि वे फर्जी कॉल्स, लिंक, और निवेश योजनाओं के जाल में न फंसें।
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