बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है। सभी प्रमुख दल अपने-अपने स्तर पर जनता को साधने में जुटे हैं। अनुमान है कि चुनाव अक्टूबर के अंतिम सप्ताह या नवंबर के पहले सप्ताह में हो सकते हैं। चुनाव आयोग जल्द ही तारीखों का ऐलान करेगा और 10 से 12 नवंबर तक नतीजे घोषित किए जाने की संभावना है, जिसके बाद तय होगा कि बिहार की सत्ता किसके हाथ में जाएगी।
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस बीच जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर की खुलकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि किशोर बिहार की जातिवादी राजनीति से ऊपर उठकर राज्य की दशा और दिशा बदलने के लिए ईमानदारी से राजनीति कर रहे हैं। चिराग ने कहा, “मैं हर उस व्यक्ति की सराहना करता हूं, जो धर्म और जाति से ऊपर उठकर बिहार की भलाई के लिए राजनीति में कदम रखता है। प्रशांत किशोर की सोच इसी दिशा में है और मैं उसे दिल से स्वीकार करता हूं।”
चुनाव को लेकर जनता से अपील
चिराग पासवान ने बिहार की जनता से लोकतंत्र की ताकत को समझने की अपील की। उन्होंने कहा, “हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती यह है कि आपके पास कई विकल्प हैं। आप जिस विचारधारा से प्रभावित हों, उसे चुनें। अगर आपको ‘बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट’ पसंद है, तो उसका चुनाव करें। अगर आप जातीयता और सांप्रदायिकता में यकीन रखते हैं, तो उस विचारधारा के साथ जाएं। और अगर आप मेरी MY यानी महिला और युवा के विकास की विचारधारा से सहमत हैं, तो मेरे साथ आइए।”
गौरतलब है कि ‘MY समीकरण’ शब्द आमतौर पर राजद (RJD) के लिए प्रयुक्त होता है, जहां ‘M’ का मतलब मुस्लिम और ‘Y’ का मतलब यादव वोट बैंक से होता है। चिराग ने इस समीकरण पर निशाना साधते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि वे इससे अलग सोच और विकास पर आधारित राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं।
SIR पर विपक्ष को घेरा
बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष के विरोध पर चिराग पासवान ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष खुद लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव आयोग से मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत कर चुका है। महाराष्ट्र चुनाव का हवाला देकर उन्होंने SIR की मांग की थी, जिसे अब आयोग लागू कर चुका है। लेकिन जब आयोग निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पुनरीक्षण कर रहा है, तो विपक्ष को आपत्ति हो रही है।
उन्होंने कहा कि SIR की प्रक्रिया का मकसद सिर्फ इतना है कि ऐसा कोई भी व्यक्ति वोट न डाल सके, जो इसके लिए पात्र नहीं है। ऐसे में विपक्ष का विरोध दोहरे मापदंड को दर्शाता है।