भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने बुधवार को अपनी स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दिल्ली में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत मौजूद रहे। भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि मजदूरों का दुःख समाज का दुःख है और समाज के हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वे मजदूरों की समस्याओं को समझें और उनका समाधान करें।
मोहन भागवत ने टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तकनीक मनुष्य के स्वभाव को रूखा बनाती है और परिश्रम की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाती है। इसलिए यह आवश्यक है कि तकनीक का उपयोग ऐसा हो जिससे श्रमिकों के जीवन पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। उन्होंने बीएमएस को और बड़ा करने और देश व दुनिया के सामाजिक वातावरण में सकारात्मक बदलाव लाने पर जोर दिया।
भागवत ने कहा, “जब मजदूर संगठन छोटा था तो वह केवल कुछ लोगों की कल्पनाओं में था। मजदूरों के दुखों को दूर करने निकले लोग परिवार की चिंता करते तो टिक नहीं पाते। आज 70 साल बाद बीएमएस देश का सबसे महत्वपूर्ण मजदूर संगठन बन चुका है, लेकिन आगे बढ़ने के लिए हमें पीछे मुड़कर अपनी यात्रा पर भी नजर डालनी होगी।”
बीएमएस की स्थापना 23 जुलाई 1955 को भोपाल में हुई थी और यह संगठन केवल मजदूरों के हितों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और स्वदेशी जैसे व्यापक सामाजिक लक्ष्यों पर भी काम करता रहा है।