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महाराष्ट्र में मराठी बनाम हिंदी विवाद: नितेश राणे के बयान से बढ़ा बवाल, अजान को भी मराठी में देने की मांग

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महाराष्ट्र में इन दिनों भाषा को लेकर बवाल मचा हुआ है। मराठी और हिंदी को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। इसी बीच राज्य सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता नितेश राणे ने एक विवादित बयान देकर नई बहस छेड़ दी है।

“मदरसों में नहीं पढ़ाई जाती मराठी, बल्कि हिंदुओं को खत्म करने की साजिश सिखाई जाती है” – नितेश राणे

नितेश राणे ने एक कार्यक्रम में कहा कि मदरसों में मराठी नहीं पढ़ाई जाती, बल्कि वहां ऐसी बातें सिखाई जाती हैं कि “हिंदुओं को कैसे खत्म किया जाए।” उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हिंदुओं को अब एकजुट होना होगा और इसका मुकाबला करना होगा।”

“अजान भी मराठी में दी जानी चाहिए” – राणे

नितेश राणे यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि मस्जिदों में जो पांच वक्त की अजान होती है, वो भी मराठी भाषा में दी जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि मदरसों में उर्दू के बजाय मराठी पढ़ाई जानी चाहिए।

उन्होंने कांग्रेस पर भी तंज कसा और कहा, “जब कांग्रेस मुंबई में मराठी स्कूल खोल रही है, तो फिर वो मुस्लिम समुदाय से क्यों नहीं कहती कि वो अजान भी मराठी में दें? मदरसों में असली पढ़ाई तब ही होगी जब वहां मराठी भाषा सिखाई जाएगी।”

निशिकांत दुबे के बयान पर भी बवाल

हाल ही में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने भी एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “अगर बहुत बड़े बॉस हो तो बिहार और यूपी आओ, वहां पटक-पटक के मारे जाएंगे।” ये बयान उस घटना के बाद आया जब मराठी न बोलने पर एक दुकानदार की पिटाई कर दी गई थी।

राज ठाकरे का पलटवार

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने निशिकांत दुबे को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “अगर कोई ये सोच रहा है कि मराठी लोगों को पटक-पटक के मारेगा, तो वो मुंबई आकर देखे, हम उसे समंदर में डुबो-डुबो के मारेंगे।”

सरकार की तीन भाषा नीति बनी विवाद की जड़

ये पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने तीन भाषा नीति लागू करने की घोषणा की थी। इस नीति का कई संगठनों और पार्टियों ने विरोध किया, जिसके बाद सरकार ने यू-टर्न ले लिया। लेकिन भाषा को लेकर सियासी घमासान अब भी जारी है।

अगर आप भी महाराष्ट्र में रहने वाले हैं, तो क्या आप मानते हैं कि मराठी भाषा को और बढ़ावा मिलना चाहिए या फिर भाषा की लड़ाई से बचना चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं।

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