महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है, जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे को ‘घर वापसी’ का न्योता दिया। फडणवीस ने एक सार्वजनिक मंच पर कहा कि उद्धव ठाकरे को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ फिर से जुड़ने का मौका मिल सकता है, क्योंकि उनकी पार्टी शिवसेना (UBT) पहले NDA का हिस्सा रही है। इस बयान ने महाराष्ट्र में सियासी अटकलों को हवा दे दी है, खासकर तब जब 2024 के लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी (MVA) और महायुति गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी।
फडणवीस ने अपने बयान में कहा, “उद्धव ठाकरे हमारे पुराने सहयोगी रहे हैं। अगर वह चाहें, तो हम उनके लिए दरवाजे हमेशा खुले रखेंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि BJP और शिवसेना की विचारधारा में कई समानताएं हैं, और दोनों दलों ने मिलकर महाराष्ट्र में लंबे समय तक शासन किया है। हालांकि, फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि गठबंधन की संभावना उद्धव की इच्छा और परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे ने फडणवीस के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। एक रैली में उन्होंने कहा, “मेरा घर शिवसेना है, और मैं अपने सिद्धांतों पर डटा रहूंगा। जो लोग सत्ता के लिए सिद्धांतों से समझौता करते हैं, उनके साथ हमारा कोई लेना-देना नहीं।”
उद्धव ने BJP पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र की जनता के हितों के लिए MVA के साथ मिलकर काम करती रहेगी।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फडणवीस का यह बयान 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद आया है, जिसमें MVA ने महायुति को कड़ी टक्कर दी थी। शिवसेना (UBT) ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा और 9 सीटें जीतीं, जबकि BJP ने 28 में से 9 सीटें हासिल कीं। इस प्रदर्शन ने उद्धव ठाकरे की पार्टी को MVA के एक मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित किया है। ऐसे में फडणवीस का न्योता एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, जिसका मकसद MVA गठबंधन में दरार डालना हो सकता है।शिवसेना (UBT) के प्रवक्ता संजय राउत ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा, “BJP को लगता है कि वह हमें लालच देकर तोड़ सकती है, लेकिन उद्धव ठाकरे वही नेता हैं जिन्होंने सत्ता छोड़कर सिद्धांत चुने। हम MVA के साथ हैं और महाराष्ट्र की जनता के लिए लड़ते रहेंगे।” राउत ने यह भी आरोप लगाया कि BJP अपनी कमजोर होती स्थिति को छिपाने के लिए ऐसे बयान दे रही है।2019 में शिवसेना और BJP का गठबंधन टूटने के बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर MVA सरकार बनाई थी।
हालांकि, 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत के बाद उद्धव की सरकार गिर गई, और शिंदे ने BJP के साथ मिलकर नई सरकार बनाई। इस घटनाक्रम ने शिवसेना को दो हिस्सों में बांट दिया, और उद्धव की शिवसेना (UBT) अब MVA का हिस्सा है।फडणवीस के बयान ने न केवल शिवसेना (UBT) बल्कि MVA के अन्य सहयोगियों, कांग्रेस और NCP (शरद पवार गुट), के बीच भी चर्चा छेड़ दी है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमें उद्धव ठाकरे पर पूरा भरोसा है। BJP का यह दांव MVA को कमजोर करने की कोशिश है, लेकिन हम एकजुट रहेंगे।”महाराष्ट्र की सियासत में यह नया मोड़ आने वाले विधानसभा चुनावों को और रोचक बना सकता है।
क्या उद्धव ठाकरे BJP के न्योते पर विचार करेंगे, या MVA के साथ अपनी लड़ाई को और मजबूत करेंगे? यह सवाल महाराष्ट्र की राजनीति में अगले कुछ महीनों तक छाया रहेगा।








