आम आदमी पार्टी (AAP) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शुक्रवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि AAP बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी और किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। यह फैसला INDIA गठबंधन, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस प्रमुख साझेदार हैं, के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।संजय सिंह ने कहा, “हम बिहार में अपनी विचारधारा और दिल्ली मॉडल के आधार पर जनता के बीच जाएंगे।
हमारा लक्ष्य शिक्षा, स्वास्थ्य, और मुफ्त बिजली जैसे मुद्दों को उठाकर बिहार की जनता को एक नया विकल्प देना है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बिहार और पूर्वांचल के प्रवासियों के साथ दिल्ली में विश्वासघात किया है, और बिहार के नेताओं को इसकी निंदा करनी चाहिए।AAP का यह कदम बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा कर रहा है, खासकर किशनगंज जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में, जहां पार्टी अपनी उपस्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। किशनगंज, जहां 68% मुस्लिम आबादी है, हमेशा से RJD, कांग्रेस, BJP और AIMIM जैसे दलों के लिए सियासी अखाड़ा रहा है।
संजय सिंह के हालिया किशनगंज दौरे ने इस क्षेत्र में AAP की बढ़ती महत्वाकांक्षा को रेखांकित किया है।हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AAP की राह बिहार में आसान नहीं होगी। पार्टी को स्थानीय नेतृत्व की कमी और मुस्लिम मतदाताओं के बीच सीमित स्वीकार्यता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, INDIA गठबंधन से अलग होने के फैसले ने RJD और कांग्रेस के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है।RJD और कांग्रेस के बीच गठबंधन में पहले ही सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर मतभेद उभर चुके हैं।
RJD के नेता लालू प्रसाद यादव ने हाल ही में तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी को INDIA गठबंधन का नेतृत्व सौंपने की वकालत की थी, जिसे कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अप्रत्यक्ष रूप से अपने खिलाफ माना। कांग्रेस के बिहार प्रभारी शाहनवाज आलम ने कहा था कि अगर महागठबंधन सत्ता में आता है, तो वह दो उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति चाहेंगे, जिसमें एक मुस्लिम हो। इस बयान ने RJD को असहज किया, क्योंकि यह उनकी मुस्लिम-यादव वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।संजय सिंह ने BJP पर मतदाता सूची में हेरफेर का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “दिल्ली में BJP ने हजारों मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए, खासकर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रवासियों को निशाना बनाया गया।” उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार के सीमांचल क्षेत्र में BJP अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का मुद्दा उठाकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है।
AAP की इस घोषणा ने बिहार में NDA और महागठबंधन के बीच होने वाली सीधी टक्कर को त्रिकोणीय बना दिया है। पार्टी ने “बिहार में भी केजरीवाल” अभियान शुरू किया है, जिसके तहत वह दिल्ली के विकास मॉडल को बिहार में लागू करने का वादा कर रही है। AAP के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राकेश यादव ने कहा, “हमारी संगठनात्मक ताकत हर जिले और विधानसभा क्षेत्र में है। हम बूथ स्तर पर भी जल्दी ही अपनी इकाइयां स्थापित करेंगे।”हालांकि, RJD और कांग्रेस के लिए यह स्थिति नई चुनौतियां खड़ी कर रही है। RJD, जो 2020 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, ने पहले ही कांग्रेस की खराब स्ट्राइक रेट (70 में से केवल 19 सीटें) के लिए उसकी आलोचना की थी।
दूसरी ओर, कांग्रेस का मानना है कि RJD ने उसे मुश्किल सीटें दी थीं, जिसके कारण उसका प्रदर्शन कमजोर रहा। अब AAP के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले ने दोनों दलों के बीच समन्वय की कमी को और उजागर कर दिया है।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अभी समय है, लेकिन AAP के इस कदम ने सियासी समीकरणों को और जटिल कर दिया है। क्या AAP बिहार में अपनी जमीन बना पाएगी, या यह केवल वोट कटवा की भूमिका निभाएगी? यह सवाल आने वाले महीनों में बिहार की राजनीति का केंद्र रहेगा।
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