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अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु शुक्ला, पत्नी कामना बोलीं – “फिर से मिलना किसी उत्सव से कम नहीं”

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18 दिनों की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर भारतीय अंतरिक्ष यात्री और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला मंगलवार को धरती पर सुरक्षित लौट आए हैं। उनकी वापसी न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश के लिए गर्व और खुशी का क्षण बन गई है। उनके लौटने की खबर के साथ ही घर में जश्न का माहौल है, और सबसे ज़्यादा उत्साहित हैं उनकी पत्नी कामना शुक्ला, जो इस खास पल को बेहद निजी और खास अंदाज़ में मना रही हैं।

कामना ने बताया, “शुभांशु से दोबारा मिलना मेरे लिए किसी उत्सव से कम नहीं है। मैं जानती हूं कि अंतरिक्ष में रहते हुए उन्हें घर का खाना सबसे ज़्यादा याद आया होगा, इसलिए मैं पहले से ही उनके पसंदीदा व्यंजन बना रही हूं।” शुभांशु फिलहाल ह्यूस्टन में 23 जुलाई तक क्वारंटीन में हैं, जहां वे अपनी पत्नी और 6 साल के बेटे कियाश से सीमित दूरी बनाकर मिल रहे हैं। कामना और कियाश पहले से ही अमेरिका में मौजूद थे और शुभांशु के लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

“हर फोन कॉल एक तोहफा था”

कामना ने बताया कि जब शुभांशु अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर थे, तब उनका कॉल आना उनके लिए किसी चमत्कार जैसा लगता था। “उनकी आवाज़ सुनना, ये जानना कि वो सुरक्षित हैं – ये मेरे हर दिन की सबसे बड़ी राहत थी,” कामना ने भावुक होते हुए कहा।

वे बताती हैं कि उनकी बातचीत में शुभांशु द्वारा किए गए वैज्ञानिक प्रयोग, अंतरिक्ष में बिताया गया जीवन और कुछ बेहद अलग अनुभव शामिल रहते थे, जो धरती की कल्पनाओं से कहीं आगे थे।

इंस्‍टाग्राम पोस्ट ने छू लिए दिल

धरती पर लौटने के बाद शुभांशु ने अपनी पत्नी और बेटे के साथ कुछ तस्वीरें इंस्टाग्राम पर साझा कीं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। उन्होंने लिखा –
“पृथ्वी पर लौटना और अपने परिवार को गले लगाना… यही तो घर होता है। अंतरिक्ष उड़ानें जादुई होती हैं, लेकिन उन्हें जादुई बनाते हैं इंसान।”

उन्होंने एक बेहद मार्मिक किस्सा साझा करते हुए लिखा –
“क्वारंटीन के दौरान मेरे बेटे को समझाना पड़ता था कि वह मुझे क्यों नहीं छू सकता, वो हर बार पूछता था – ‘क्या मैं हाथ धोकर पापा को छू सकता हूं?’ ये मेरे लिए सबसे मुश्किल पल थे।”

“हम फिर से सामान्य पलों को जीना चाहते हैं”

कामना का मानना है कि अब समय है कि वे अपने पति के साथ साधारण, सुकून भरे पलों का आनंद लें। “खुशी का असली मतलब है – एक साथ बैठकर हंसना, कहानियां साझा करना और एक बार फिर से सामान्य जीवन को महसूस करना,” उन्होंने कहा।

“अंतरिक्ष से ज़्यादा चुनौतीपूर्ण था अलग रहना”

कामना ने यह भी साझा किया कि लंबे समय तक साथी से दूर रहना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने इससे तालमेल बनाना सीख लिया है। “वायुसेना में साथ होने ने हमें लचीलापन और धैर्य सिखाया है। दूरी ने हमारे रिश्ते को और मजबूत किया,” उन्होंने कहा।

“शर्मीला शुभांशु, अब युवाओं के लिए प्रेरणा”

कामना गर्व से बताती हैं कि शुभांशु शुरू में बेहद शर्मीले थे, लेकिन आज वे हज़ारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। “उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखने वाले छात्रों के साथ खुलकर बात करते देखना मेरे लिए भावुक कर देने वाला अनुभव था,” उन्होंने कहा। उन्होंने बताया कि शुभांशु का मिशन हमेशा भारत की युवा पीढ़ी को STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना रहा है।

“हर युवा को करना चाहिए सपनों का पीछा”

कामना ने संदेश देते हुए कहा –
“जो युवा इस रास्ते को चुनेंगे, वे न केवल खुद को एक असाधारण अनुभव देंगे, बल्कि देश को गौरव का क्षण भी प्रदान करेंगे। अंतरिक्ष यात्री बनना आसान नहीं है, लेकिन ये सफर अविश्वसनीय रूप से संतोषजनक होता है।”


अब जब शुभांशु वापस धरती पर हैं, तो उनके लिए अगला मिशन है – अपने परिवार के साथ फिर से जीवन की सरल, मगर बेशकीमती खुशियों को जीना।

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