जम्मू-कश्मीर में आतंक के बढ़ते खतरे के बीच सुरक्षाबलों ने एक जबरदस्त कार्रवाई शुरू कर दी है। किश्तवाड़ जिले के दुर्गम इलाकों में युवाओं की संदिग्ध गतिविधियों के पीछे आतंकियों की फिर से सक्रियता का संकेत मिला है। इस बहाने सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और SOG ने पूरे इलाके को घेरकर बड़े स्तर पर खोजी अभियान छेड़ दिया है।
किश्तवाड़ में तलाशी का अलर्ट
वारवन क्षेत्र के चोईडरमन, बसमिना और सुखनाई गांवों में पोस्टर सर्च ऑपरेशन चल रहे हैं। खुफिया इनपुट के अनुसार इलाके में 3 से 4 संदिग्ध आतंकियों की गतिविधियाँ देखी गई हैं। इस निगरानी अभियान का नेतृत्व जिलाधिकारी के निर्देशन में ASP मारवाह विजय कुमार भगत और वारवन के SHO दानिश अमीन कर रहे हैं। खाली मकानों में भी तलाशी ली जा रही है—ध्यान इसी बात पर है कि आतंकी इन्हें अपने लिए ठिकाना बना सकते हैं।
ट्रैकिंग रूट पर भी सुरक्षा तैनात
सुकनाई इलाके से होकर पहलगाम और शीश्नाग की ओर जाने वाला ट्रैकिंग रूट गुजरता है। इसी वजह से सुरक्षा एजेंसियों की अतिरिक्त सतर्कता जारी है, ताकि आतंकियों की हर हरकत पर कड़ी नज़र रखी जा सके और आम नागरिकों व तीर्थयात्रियों की रक्षा हो सके।
“पिकेट्स” की वापसी
2003-04 के बाद से बंद पड़े सुरक्षा चौकी—पिकेट्स—अब फिर से अस्तित्व में आ रहे हैं। ये छोटी-छोटी चौकियां दुर्गम क्षेत्रों में तैनात की जा रही हैं, जहां सुरक्षा बल पहरा देते हैं, संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हैं और स्थानीय लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाते हैं।
6 जिलों में 50‑60 आतंकियों की सक्रियता
सेना सूत्रों की रिपोर्ट के अनुसार राजौरी, पुंछ, डोडा, किश्तवाड़, रियासी और उधमपुर जिलों में 50‑60 सक्रिय आतंकियों के समूह मौज़ूद हैं। ये आतंकी छोटे-छोटे ग्रुपों में फैले हैं और ज्यादातर जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े बताए जा रहे हैं। लश्कर के नेटवर्क से भी जुड़ाव की आशंका बनी हुई है।
70 से अधिक तलाशी अभियान, सुरक्षा चौकियां सक्रिय
इन आतंकियों को पकड़ने के लिए अब तक 70 से अधिक सर्च ऑपरेशन किए जा चुके हैं। दुर्गम क्षेत्रों में स्थायी चौकियों को स्थापित किया जा चुका है। उधमपुर के बसंतगढ़ में हाल में एक आतंकी ढेर हुआ है, वहीं डोडा के छात्रु क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद भी तलाशी अभियान जारी है।
LoC पार की हर कोशिश नाकाम
सीमा पार से आतंकियों के 70 से अधिक लॉन्चपैड सक्रिय बताए जा रहे हैं। लेकिन भारतीय सेना की सतर्कता और हाई अलर्ट स्थिति के चलते इन सभी आतंकी घुसपैठ की कोशिशों को पहले ही धराशायी कर दिया गया है।
जम्मू संभाग में इन पहाड़ी जिलों में सुरक्षा चौकियों की बढ़ी मौजूदगी और सघन तलाशी अभियान इस बात का संकेत देता है कि हाई अलर्ट के दौर में सुरक्षाबलों की पूर्ण तैयारियां कायम हैं। अब देखना यह है कि इन कार्रवाइयों से आतंकियों को कितना झटका लगेगा और क्या जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में वापस शांति लौट पाएगी?








