मुंबई की राजनीति इन दिनों एक वायरल वीडियो को लेकर गर्माई हुई है। शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ उस समय विवादों में घिर गए जब उन्होंने एक कैंटीन कर्मचारी को थप्पड़ जड़ दिया। बताया जा रहा है कि खाने की खराब क्वालिटी से नाराज होकर विधायक ने गुस्से में आकर यह कदम उठाया। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही आलोचनाओं का सिलसिला शुरू हो गया।
इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने शिवसेना पर तीखे सवाल खड़े किए, लेकिन सबसे अहम बात यह रही कि खुद मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने भी इस हरकत की निंदा की। उन्होंने इसे गलत बताया और अपनी ही पार्टी के विधायक के व्यवहार को शर्मनाक करार दिया। शिंदे ने कहा कि यह केवल विधायक की नहीं, बल्कि पूरी पार्टी की छवि पर असर डालने वाली घटना है।
सोमवार को दादर में हुई पार्टी की बैठक में एकनाथ शिंदे ने इस मामले को खुले तौर पर उठाया। उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा कि पिछले कुछ दिनों में जो भी घटनाएं हुई हैं, उनमें उंगली विधायकों पर नहीं, बल्कि उन पर उठती है। उन्होंने कहा कि उनसे पूछा जाता है कि आपके विधायक क्या कर रहे हैं। शिंदे ने यह भी बताया कि कुछ मंत्रियों को पहले ही बदनामी की वजह से अपने पद छोड़ने पड़े हैं। उन्होंने साफ किया कि उन्हें अपने ही परिवार यानी पार्टी के भीतर कार्रवाई करना पसंद नहीं है, लेकिन अगर हालात ने मजबूर किया तो उन्हें सख्त कदम उठाने पड़ेंगे।
शिंदे ने पार्टी नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि वे कम बोलें और ज्यादा काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि गलत चीजों में ऊर्जा बर्बाद करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने खुद को प्रमुख नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि वह अपने विधायकों से भी यही अपेक्षा रखते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने कम समय में बड़ी सफलता हासिल की है और अब कुछ लोग जानबूझकर शिवसेना की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। इस कारण आने वाला समय पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
यह मामला कोई इकलौती घटना नहीं है जिसने शिवसेना को विवादों में घेरा है। पार्टी के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट और मृदा एवं जल संरक्षण मंत्री संजय राठौड़ पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों के चलते पार्टी पर लगातार दबाव बढ़ रहा है और विपक्ष को सरकार पर हमला करने का नया मौका मिल गया है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या एकनाथ शिंदे अपने नेताओं पर सख्त कार्रवाई करेंगे या फिर इस तरह की घटनाएं पार्टी की छवि को लगातार कमजोर करती रहेंगी। जनता इस पूरे घटनाक्रम को बेहद गंभीरता से देख रही है और जवाब की मांग कर रही है।