भले ही ओला इलेक्ट्रिक को तिमाही में बड़ा घाटा हुआ हो, लेकिन शेयर बाजार में कंपनी ने जबरदस्त वापसी की है। सोमवार को ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों ने 17.2% की छलांग लगाते हुए निवेशकों को बड़ा फायदा पहुंचाया। ये उछाल तब आया है जब कंपनी ने जून 2025 की पहली तिमाही में 428 करोड़ रुपये का नेट लॉस रिपोर्ट किया है। ऐसे में ये सवाल उठता है – घाटे के बाद भी ओला के शेयर क्यों भागने लगे?
बाजार गिरा, लेकिन ओला चढ़ा!
जब भारतीय शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स सेंसेक्स में लगभग 250 अंकों की गिरावट दर्ज की जा रही थी, उसी समय ओला इलेक्ट्रिक के शेयर BSE पर ₹46.67 तक पहुंच गए। यानी कि कंपनी ने अपने निवेशकों को उम्मीद से कहीं बेहतर रिटर्न दिया, और यह रिटर्न तब आया है जब कंपनी का मुनाफा नहीं, बल्कि घाटा सामने आया।
तो आखिर क्यों बढ़े ओला के शेयर?
ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों की बढ़त के पीछे कुछ खास वजहें हैं:
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भले ही रेवेन्यू साल-दर-साल 49.6% गिरकर 828 करोड़ हो गया हो, लेकिन मार्च तिमाही के मुकाबले इसमें 35% की बढ़त देखी गई है।
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सबसे बड़ी बात – कंपनी का ऑटो सेगमेंट पहली बार EBITDA पॉजिटिव हुआ है, यानी कंपनी ने अपने ऑटो कारोबार से ऑपरेटिंग लेवल पर मुनाफा कमाया है।
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ग्रॉस मार्जिन 25.6% रहा, जो अब तक का सबसे अच्छा आंकड़ा है।
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यह सुधार वर्टिकल इंटीग्रेशन, खुद की टेक्नोलॉजी, और मटेरियल कॉस्ट में कमी जैसी रणनीतियों के कारण आया है।
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कंपनी के नए प्रोडक्ट्स जैसे Gen 3 स्कूटर्स, Roadster बाइक्स और MoveOS+ सॉफ्टवेयर की डिमांड ने भी मार्जिन को ऊपर उठाया।
‘लक्ष्य’ प्लान से खर्च में भारी कटौती
ओला का खर्च कम करने का मिशन, जिसका नाम ‘लक्ष्य’ रखा गया है, कंपनी के लिए गेमचेंजर साबित हो रहा है।
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ऑटो सेगमेंट के महीने के खर्च 178 करोड़ से घटकर 105 करोड़ रह गए हैं।
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कुल मासिक खर्च अब सिर्फ 150 करोड़ रुपये है, और कंपनी का दावा है कि अगर प्रोडक्शन दोगुना भी हुआ तो भी खर्च इसी दायरे में रहेगा।
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तिमाही में कुल खर्च 42.4% घटकर 1,065 करोड़ रहा है।
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EBITDA लॉस भी सुधरकर -113.9% से -28.6% पर आ गया है, जो एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।
कंपनी का भविष्य का प्लान क्या है?
ओला इलेक्ट्रिक अब FY26 (2025-26) के लिए बड़ा प्लान लेकर चल रही है:
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कंपनी का टारगेट है कि वह 3.25 से 3.75 लाख व्हीकल्स बेचेगी और इससे 4,200 से 4,700 करोड़ रुपये का रेवेन्यू आएगा।
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कंपनी का दावा है कि दूसरी तिमाही से ऑटो सेगमेंट का EBITDA पॉजिटिव हो जाएगा और साल के अंत तक यह 5% से ऊपर जा सकता है।
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FY26 में ऑटो बिजनेस के लिए 300 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश (Capex) की जरूरत होगी, जबकि 400-500 करोड़ रुपये की जरूरत फ्री कैश फ्लो ब्रेकईवन के लिए पड़ेगी।
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ओला का बैटरी सेल प्लांट भी इस साल पूरा होने की तैयारी में है। इसमें कंपनी ने 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसमें से 70% फंडिंग लोन के ज़रिए की गई है।
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FY27 तक कंपनी की बैटरी यूनिट भी फ्री कैश फ्लो ब्रेकईवन हासिल कर लेगी।
फिलहाल पैसे की कोई दिक्कत नहीं
कंपनी ने बताया है कि जून के अंत तक उसके पास 3,197 करोड़ रुपये का कैश बैलेंस था। ऐसे में ऑपरेशंस चलाने के लिए फिलहाल किसी अतिरिक्त फंडिंग की जरूरत नहीं है। डेट रिफाइनेंसिंग को लेकर बातचीत भी अगली तिमाही में पूरी हो जाएगी।
निवेशकों के लिए क्या संकेत हैं?
ओला इलेक्ट्रिक भले ही घाटे में हो, लेकिन उसकी रणनीति, टेक्नोलॉजी, खर्च पर कंट्रोल और नए प्रोडक्ट्स की वजह से शेयर बाजार में उस पर भरोसा बढ़ रहा है।
निवेशकों को ये साफ संकेत मिल रहे हैं कि कंपनी अब अपने नुकसान को धीरे-धीरे मुनाफे में बदलने के ट्रैक पर है।








