महाराष्ट्र के लिए गर्व का पल आया है। छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े 12 ऐतिहासिक किलों को अब यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है। ये किले मराठा साम्राज्य की ताकत, सैन्य रणनीति और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के जीवंत प्रतीक हैं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ये सम्मान हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
पीएम मोदी का ट्वीट – “यह सिर्फ साम्राज्य नहीं, एक विरासत है”
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,
“इस उपलब्धि और सम्मान से सभी भारतीय गदगद हैं। इन भव्य मराठा सैन्य परिदृश्यों में कुल 12 ऐतिहासिक किले शामिल हैं, जिनमें से 11 महाराष्ट्र और एक तमिलनाडु में है। जब हम मराठा साम्राज्य की बात करते हैं, तो यह सिर्फ एक साम्राज्य नहीं, बल्कि सुशासन, सैन्य कौशल, सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक न्याय की एक मिसाल है।”
प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे इन ऐतिहासिक किलों की यात्रा करें और मराठा विरासत को करीब से जानें। उन्होंने शिवाजी महाराज को नमन करते हुए कहा कि उनके जैसे शासक हमें सिखाते हैं कि अन्याय कितना भी बड़ा क्यों न हो, डटकर उसका सामना करना चाहिए।
मराठी पहचान को लेकर बढ़ते विवाद के बीच आई यह खुशखबरी
यह उपलब्धि ऐसे समय पर सामने आई है जब महाराष्ट्र में मराठी पहचान और संस्कृति को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कुछ समूह इस मुद्दे को ‘हिंदी बनाम मराठी’ की बहस में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे माहौल में यूनेस्को द्वारा मराठा किलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल करना राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर मान्यता देने जैसा है।
पुरातात्विक परिदृश्य को भी मिली पहचान
इस उपलब्धि के साथ ही पुरातात्विक लैंडस्केप यानी ‘Maratha Military Landscapes’ को भी यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इसमें मराठों की सैन्य रणनीति, किलों का भौगोलिक वितरण और निर्माण शैली को वैश्विक धरोहर के तौर पर सराहा गया है। साथ ही इस लैंडस्केप में मराठा संस्कृति, सामाजिक जागरूकता और न्याय के मॉडल को भी विशेष रूप से उभारा गया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जताई खुशी
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा,
“मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स को यूनेस्को से मिली यह वैश्विक मान्यता पूरे महाराष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। ये हमारे इतिहास और संस्कृति की ताकत का प्रमाण है।”
निष्कर्ष
छत्रपति शिवाजी महाराज के किले यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है। यह न सिर्फ हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देने वाला कदम है। अब यह जिम्मेदारी हम सभी की है कि हम इन ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा करें और उन्हें गर्व से अगली पीढ़ियों तक पहुंचाएं।