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अमित शाह का रिटायरमेंट प्लान: PM मोदी के उत्तराधिकारी की चर्चा ने पकड़ा जोर

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केंद्रीय गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता अमित शाह के एक हालिया बयान ने भारतीय राजनीति में नई हलचल मचा दी है। शाह ने एक सार्वजनिक मंच पर अपनी रिटायरमेंट योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि वह जल्द ही सक्रिय राजनीति से दूरी बनाकर नई पीढ़ी को मौका देना चाहते हैं। इस बयान को लेकर सियासी गलियारों में यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी की दौड़ को हवा दे रहा है, खासकर तब जब PM मोदी अगले साल 75 वर्ष की आयु पूरी करेंगे।

शाह ने क्या कहा?

गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “राजनीति में समय और ऊर्जा की जरूरत होती है। मैं चाहता हूं कि एक समय के बाद मैं अपने अनुभव को नई पीढ़ी के साथ साझा करूं और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दूं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि BJP में नेतृत्व का हस्तांतरण हमेशा सुचारु रूप से होता है और पार्टी का भविष्य युवा नेताओं के हाथों में सुरक्षित है। शाह का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी 75 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट की परंपरा का जिक्र किया था।

PM मोदी के उत्तराधिकारी की चर्चा

अमित शाह को लंबे समय से PM मोदी के सबसे करीबी सहयोगी और BJP में नंबर दो के नेता के रूप में देखा जाता रहा है। उनकी संगठनात्मक क्षमता और रणनीतिक कौशल ने पार्टी को कई चुनावों में जीत दिलाई है। ऐसे में उनके रिटायरमेंट की बात ने न केवल BJP कार्यकर्ताओं बल्कि राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंकाया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि शाह का यह बयान एक रणनीतिक कदम हो सकता है, जिसका मकसद PM मोदी के बाद नेतृत्व की दौड़ में अपनी स्थिति को मजबूत करना या पार्टी में नई ऊर्जा लाना हो सकता है।दूसरी ओर, शाह के बयान ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे नेताओं के नामों को भी उत्तराधिकारी की दौड़ में ला खड़ा किया है। हालांकि, BJP के एक वरिष्ठ नेता ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा, “अमित शाह का बयान केवल व्यक्तिगत विचार है। PM मोदी के नेतृत्व में पार्टी अभी भी मजबूत है, और उत्तराधिकारी की चर्चा समय से पहले है।”

विपक्ष ने कसा तंज

विपक्षी दलों ने शाह के बयान को BJP के भीतर उभरते असंतोष के संकेत के रूप में देखा है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने टिप्पणी की, “पहले RSS ने रिटायरमेंट की बात की, अब शाह साहब रिटायरमेंट प्लान बना रहे हैं। क्या BJP में सब कुछ ठीक नहीं है?” वहीं, तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने तंज कसते हुए कहा, “शाह जी रिटायरमेंट की बात कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या PM मोदी भी इस सलाह को मानेंगे?”

BJP और RSS का रुख
BJP ने शाह के बयान को व्यक्तिगत और भविष्योन्मुखी बताते हुए इसे ज्यादा तूल न देने की कोशिश की है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “अमित शाह ने केवल नई पीढ़ी को प्रोत्साहन देने की बात की है। यह BJP की ताकत है कि हम हमेशा नए नेतृत्व को सामने लाते हैं।” दूसरी ओर, RSS के एक सूत्र ने बताया कि शाह का बयान संघ की उस परंपरा से मेल खाता है, जिसमें वरिष्ठ नेता समय आने पर मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं।2024 चुनाव और नेतृत्व का दबाव
2024 के लोकसभा चुनाव में BJP को पूर्ण बहुमत न मिलने के बाद पार्टी पर गठबंधन सहयोगियों के साथ तालमेल बिठाने का दबाव बढ़ा है। इस स्थिति ने नेतृत्व और संगठनात्मक रणनीति को लेकर सवाल खड़े किए हैं। शाह का बयान ऐसे समय में आया है, जब पार्टी 2026 तक होने वाले कई विधानसभा चुनावों और संगठनात्मक बदलावों की तैयारी में जुटी है। विश्लेषकों का मानना है कि शाह का यह बयान पार्टी के भीतर और बाहर नेतृत्व के भविष्य को लेकर नई बहस को जन्म दे सकता है।

आगे की राह

अमित शाह का रिटायरमेंट प्लान भले ही अभी भविष्य की बात हो, लेकिन इसने BJP के भीतर और भारतीय राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है। PM मोदी के नेतृत्व में अभी भी पार्टी की मजबूत स्थिति को देखते हुए तत्काल बदलाव की संभावना कम है, लेकिन शाह का यह बयान आने वाले समय में नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में एक संकेत हो सकता है

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