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सरकारी मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार की नई पहल, दो-दो प्रोफेसरों की टीमें करेंगी निरीक्षण

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प्रदेश के सरकारी और स्वशासी मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्थाएं अब और बेहतर होंगी। सरकार ने इन कॉलेजों की स्थिति सुधारने के लिए एक नई रणनीति बनाई है। इसके तहत प्रदेश के सभी 35 राजकीय व स्वशासी मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण दो-दो प्रोफेसरों की टीम करेगी। ये टीमें कॉलेजों में जाकर सुविधाओं की हकीकत जानेंगी और सुधार के लिए अपनी रिपोर्ट देंगी।

दरअसल, हाल ही में हाईकोर्ट ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों की बदहाल व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए थे और सरकार को दो महीने में सुधार की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है।

प्रोफेसरों की सूची जारी, निरीक्षण के निर्देश

चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कॉलेजवार जांच के लिए प्रोफेसरों की सूची जारी कर दी है और टीमों को निरीक्षण शुरू करने के निर्देश भी दे दिए हैं। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ मौजूदा खामियों का पता चलेगा, बल्कि भविष्य में उनके समाधान के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस भी बन सकेंगी।

क्या-क्या देखेगी जांच टीम?

प्रोफेसरों की ये टीमें कॉलेजों की छोटी-बड़ी हर व्यवस्था का गहराई से निरीक्षण करेंगी। इनमें खासतौर पर निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगा:

आपातकालीन सेवाएं: इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टर, नर्स और टेक्नीशियन की 24 घंटे उपलब्धता, दवाइयों और जीवन रक्षक उपकरणों की स्थिति।

ब्लड बैंक और जांच सुविधाएं: ब्लड बैंक की सक्रियता, पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी जांच की 24 घंटे उपलब्धता और दरों की स्पष्ट जानकारी।

आईसीयू और ऑक्सीजन की व्यवस्था: ICU की कार्यक्षमता और LMO प्लांट, PSA यूनिट, सिलेंडरों की उपलब्धता की जांच।

साफ-सफाई और शौचालयों की स्थिति: अस्पताल और छात्रावासों के टॉयलेट्स, सफाई, दिव्यांगों के लिए सुविधाएं और पेयजल की स्थिति।

डॉक्टरों और स्टाफ की उपस्थिति: OPD में डॉक्टरों का रोस्टर, उपस्थिति रजिस्टर, जन औषधि केंद्र की सक्रियता और जेनेरिक दवाओं का प्रयोग।

दलालों पर रोक और सुरक्षा: अस्पताल परिसर में दलालों पर नियंत्रण, गर्ल्स हॉस्टल और इमरजेंसी में पूर्व सैनिकों की सुरक्षा ड्यूटी।

छात्रों की सुविधाएं और पढ़ाई: पुस्तकालय में किताबों और जर्नल्स की उपलब्धता, हॉस्टल की निगरानी और सफाई, कक्षाओं की नियमितता।

आउटसोर्सिंग की गुणवत्ता: सफाई, खाना और अन्य सेवाओं की गुणवत्ता, आउटसोर्स कर्मचारियों को समय पर वेतन मिल रहा या नहीं।

प्रशासन की जिम्मेदारी: प्राचार्य और उप प्राचार्य अस्पताल का भ्रमण कर रहे या नहीं, रोगी कल्याण समिति की सक्रियता।

सुधार की उम्मीद

सरकार की इस पहल का मकसद सिर्फ निरीक्षण नहीं, बल्कि व्यवस्था को जमीनी स्तर पर सुधारना है। उम्मीद की जा रही है कि इन टीमों की रिपोर्ट के आधार पर हर कॉलेज में समस्याओं को दूर किया जाएगा और एक बेहतर मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा सकेगा। इससे न केवल छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी, बल्कि मरीजों को भी बेहतर इलाज की सुविधा मिल सकेगी।

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