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महिसागर नदी पर गंभीरा पुल हादसा: 10 जिंदगियां खोईं, मोरबी की याद ताजा

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9जुलाई ।गुजरात में गंभीरा पुल ढहने से 10 की मौत, बुनियादी ढांचे की लापरवाही उजागरवडोदरा, 9 जुलाई 2025: गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार सुबह एक दुखद हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। महिसागर नदी पर बना 40 साल पुराना गंभीरा पुल अचानक ढह गया, जिसके परिणामस्वरूप 10 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। यह पुल वडोदरा और आनंद जिलों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग था, जो मध्य गुजरात को सौराष्ट्र से जोड़ता था।

इस हादसे ने एक बार फिर भारत में बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और रखरखाव की कमी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।हादसा सुबह करीब 7:30 बजे हुआ, जब पुल का एक बड़ा हिस्सा (10-15 मीटर का स्लैब) अचानक टूट गया। उस समय पुल पर कई वाहन मौजूद थे, जिनमें दो ट्रक, एक टैंकर और एक वैन शामिल थे। चार वाहन नदी में जा गिरे, जिससे बचाव कार्य में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। स्थानीय प्रशासन, वडोदरा नगर निगम की फायर ब्रिगेड, और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया।

नौ लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाला गया, जिनमें एक बच्चा भी शामिल था, लेकिन 10 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी।स्थानीय लोगों का आरोप है कि गंभीरा पुल लंबे समय से जर्जर हालत में था और इसकी मरम्मत के लिए बार-बार शिकायतें की गई थीं। अप्रैल 2025 में एक स्थानीय गुजराती समाचार पत्र ने पुल की खराब स्थिति को उजागर किया था, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। कुछ निवासियों ने इसे “आत्महत्या का स्थान” तक करार दिया था, क्योंकि इसकी खराब स्थिति के कारण यह पहले भी चर्चा में रहा था। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह पुल न केवल ट्रैफिक के लिए खतरा था, बल्कि लोगों की जान के लिए भी जोखिम बन चुका था। हमारी शिकायतों को अनदेखा किया गया, और अब इसका परिणाम सामने है।”यह हादसा गुजरात में 2022 में हुए मोरबी के माच्छु नदी केबल पुल हादसे की याद दिलाता है, जिसमें 132 लोगों की मौत हुई थी।

उस घटना के बाद भी बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे थे, लेकिन हालात में सुधार के कोई ठोस कदम नहीं दिखे। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1977 से 2017 के बीच 2130 पुल ढहने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो देश में बुनियादी ढांचे की बदहाली को दर्शाता है।गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घटना पर दुख जताते हुए सड़क और भवन विभाग को तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने पीड़ितों के परिवारों के लिए 4 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर शोक व्यक्त किया और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों के लिए 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की।हालांकि, विपक्षी दलों ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

आम आदमी पार्टी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष इसुदान घडवी ने कहा, “बीजेपी शासन में लोग अब पुलों के पास जाने से भी डरते हैं। इस हादसे की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।” सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है, और कई ने इसे “मानव निर्मित त्रासदी” करार दिया।यह हादसा भारी बारिश के बीच हुआ, जिसने वडोदरा जिले में पिछले कुछ दिनों से कहर बरपाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने ढांचों पर मौसम का दबाव और रखरखाव की कमी इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा देती है।

गुजरात सरकार ने हाल ही में पुलों के रखरखाव के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट रखा था, लेकिन इस हादसे ने सवाल उठाया कि क्या यह राशि सही दिशा में उपयोग हो रही है।जब तक जांच पूरी नहीं होती, गंभीरा पुल के ढहने का सटीक कारण स्पष्ट नहीं होगा। लेकिन यह घटना एक चेतावनी है कि भारत में बुनियादी ढांचे की सुरक्षा को प्राथमिकता देना अब अनिवार्य हो गया है।

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