पटना, 9 जुलाई 2025: बिहार की राजधानी पटना में आज विपक्षी गठबंधन महागाठबंधन ने चुनाव आयोग के विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की अगुवाई कांग्रेस के दिग्गज नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने की। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह प्रक्रिया गरीब, दलित, और अल्पसंख्यक मतदाताओं को उनके मताधिकार से वंचित करने की एक सुनियोजित साजिश है। राहुल गांधी ने पटना के इनकम टैक्स गोलंबर से शुरू हुई इस विरोध रैली में हजारों समर्थकों के साथ मार्च किया। उनके साथ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव, सीपीआई(एमएल) के दीपंकर भट्टाचार्य, और अन्य विपक्षी नेता भी शामिल थे। यह रैली चुनाव आयोग के कार्यालय तक गई, जहां नेताओं ने अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा। राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, “महाराष्ट्र में जनादेश चुराया गया, और अब बिहार में मताधिकार छीनने की कोशिश हो रही है। चुनाव आयोग संविधान की रक्षा करने के बजाय सत्ताधारी पार्टी के इशारों पर काम कर रहा है।” उन्होंने दावा किया कि बिहार में वोटर लिस्ट से लाखों मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, खासकर उन लोगों के, जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से आते हैं। तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताते हुए कहा, “चुनाव आयोग ने एक ही दिन में तीन अलग-अलग दिशानिर्देश जारी किए, जिससे मतदाताओं में भ्रम फैल रहा है। यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसका मकसद गरीबों को वोट देने से रोकना है।”
क्या है विवाद?
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा की थी। इसके तहत 2003 के बाद वोटर लिस्ट में शामिल हुए मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र या अन्य दस्तावेज जमा करने होंगे। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया जानबूझकर जटिल बनाई गई है ताकि दलित, मुस्लिम, और प्रवासी मजदूरों जैसे कमजोर वर्गों को मतदाता सूची से हटाया जा सके। विपक्षी नेताओं का कहना है कि बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल हुई वोटर लिस्ट को अब संदिग्ध बताना समझ से परे है। कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने कहा, “जब उसी लिस्ट से लोकसभा चुनाव हुए और पीएम मोदी की पार्टी को जीत मिली, तब कोई सवाल नहीं उठा। अब विधानसभा चुनाव से पहले यह प्रक्रिया क्यों?”
सुप्रीम कोर्ट में भी मामला
इस मुद्दे पर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। विपक्षी दलों और सिविल सोसाइटी समूहों का दावा है कि यह प्रक्रिया “असंवैधानिक” है और इससे लाखों लोग अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 10 जुलाई को करेगा।
बीजेपी का पलटवार
दूसरी ओर, बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए इसे “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया। बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है। विपक्ष इसे अनावश्यक रूप से तूल दे रहा है। बिहार को शांति की जरूरत है, न कि चक्का जाम की।”
बिहार बंद का व्यापक असर
महागठबंधन के आह्वान पर बिहार बंद के दौरान पूरे राज्य में सड़क और रेल यातायात प्रभावित हुआ। पटना के महात्मा गांधी सेतु पर प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर यातायात रोक दिया। मुजफ्फरपुर, दरभंगा, और पूर्णिया जैसे शहरों में भी विरोध प्रदर्शन देखे गए। आरजेडी कार्यकर्ताओं ने दरभंगा जंक्शन पर नमो भारत ट्रेन को भी रोक दिया।
विपक्ष की मांग
विपक्ष ने मांग की है कि चुनाव आयोग इस पुनरीक्षण प्रक्रिया को तत्काल रोके और मतदाताओं को परेशान करने वाले जटिल नियमों को हटाए। साथ ही, उन्होंने इस प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने की मांग की है। यह विवाद बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों को और गरमा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा विपक्ष के लिए एक बड़ा चुनावी हथियार बन सकता है, खासकर तब जब गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के मतदाता प्रभावित हो रहे हैं।