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लखनऊ जंक्शन से 6 साल की मासूम का अपहरण, GRP ने 24 घंटे में सकुशल किया बरामद

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लखनऊ जंक्शन

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लखनऊ, 15 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी के हृदयस्थल लखनऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन पर एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया। यहां से एक 6 साल की मासूम बच्ची का अपहरण कर उसे बेचने की साजिश रचने वाले तीन अपराधियों को ग्रामीण रेल पुलिस (जीआरपी) ने धर दबोचा। घटना के महज 24 घंटों के भीतर न केवल बच्ची को सकुशल बरामद कर लिया गया, बल्कि अपराधियों के गैंग के भी कई राज खुल गए।

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एसएसपी रेलवे रोहित मिश्रा ने बताया कि आरोपी महाराजगंज निवासी आमिर, बलरामपुर की शांति देवी और कंचन पर गोरखपुर में पहले से ही आपराधिक मामले दर्ज हैं। पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि वे बच्ची को मुंबई ले जाकर 80 हजार रुपये में बेचने वाले थे। घटना की शुरुआत 12 अक्टूबर (रविवार) की देर शाम हुई। बिहार के पूर्णिया जिले की रहने वाली खुश्बू शाह अपने पति से नाराज होकर लखनऊ जंक्शन पहुंचीं। सर्कुलेटिंग एरिया में वे अपनी 4 और 6 साल की दो बेटियों के साथ बैठीं।

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इसी दौरान तीनों आरोपी स्टेशन पर पहुंचे। महिलाओं ने खुश्बू से बातचीत शुरू की और जल्दी ही जान-पहचान का ढोंग रच लिया। वे सब साथ बैठ गए। कुछ देर बाद शांति देवी और कंचन ने खुश्बू को बहलाया कि बच्चियों के लिए खाने का सामान ले आएं। खुश्बू अपनी छोटी 4 साल की बेटी को लेकर फूड स्टॉल की ओर चली गईं। जब वे लौटीं, तो वहां न तो दोनों महिलाएं थीं और न ही उनकी 6 साल की बड़ी बेटी।

घबराहट में खुश्बू ने इधर-उधर तलाश की, लेकिन बच्ची का कहीं पता नहीं चला। अंततः उन्होंने जीआरपी पोस्ट पर शिकायत दर्ज कराई। मामले की जानकारी मिलते ही एसएसपी रोहित मिश्रा ने तुरंत एक्शन लिया। जीआरपी की विशेष टीम और सर्विलांस सेल को अलर्ट कर दिया गया। स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज की बारीकी से जांच की गई, जिसमें बच्ची को एक ऑटो रिक्शा में ले जाते दिखाया गया। इस आधार पर चारबाग क्षेत्र के होटलों और आसपास के इलाकों में सघन छापेमारी शुरू हो गई।

फुटेज को विभिन्न जगहों पर सर्कुलेट किया गया। मंगलवार सुबह एक गुप्त सूचना मिली कि आरोपी आलमबाग क्षेत्र में छिपे हुए हैं। जीआरपी इंस्पेक्टर धर्मवीर सिंह के नेतृत्व में टीम ने कैरिज एंड वैगन वर्कशॉप के पास दबिश दी। वहां से तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और बच्ची को बिना किसी खरोंच के बरामद कर लिया गया। बच्ची को तुरंत उसकी मां खुश्बू के हवाले कर दिया गया।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह कोई पहली घटना नहीं है। आरोपी एक बड़े संगठित गिरोह का हिस्सा हैं, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। वे रेलवे स्टेशनों पर घूम-घूम कर अकेली महिलाओं या यात्रियों को टारगेट बनाते हैं। पहले दोस्ती का नाटक करते हैं, फिर मौका पाकर बच्चों का अपहरण कर लेते हैं। अपहृत बच्चों को मुंबई के एक बड़े गिरोह को सौंपा जाता है, जहां उन्हें 80 हजार रुपये प्रति बच्चा मिलते हैं।

जीआरपी ने बताया कि आरोपी पहले भी कई अपहरण कर चुके हैं, और अब पूरे नेटवर्क को उजागर करने के लिए छापेमारी तेज कर दी गई है। इस सफल ऑपरेशन ने न केवल एक मासूम की जान बचाई, बल्कि रेल यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल भी खड़े कर दिए। पुलिस ने सभी यात्रियों से अपील की है कि स्टेशनों पर सतर्क रहें और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना दें।

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